Monday, November 5, 2012

मुख्यमंत्री के बयान पर भड़का आरडब्ल्यूए : rashtriy sahara

नई दिल्ली (एसएनबी)। ‘जो लोग बिजली का बिल अदा नहीं कर सकते है वे लोग बिजली कनेक्शन कटवा लें’ दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के इस बयान पर आरड्ब्ल्यूए के पदाधिकारियों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने क हा कि इस बात का जबाव आगामी विधानसभा चुनाव में दिया जाएगा। राजधानी में बिजली की बढ़ी दरों को लेकर भाजपा, आरड्ब्ल्यूए और आईएसी द्वारा प्रदर्शन किया गया था। इसके बाद दिल्ली सरकार ने दरों में संशोधन का आश्वासन दिया था। दिल्ली सरकार के आश्वासन के बाद डीईआरसी ने जनसुनवाई कर दरों में संशोधन किया था, जिससे बिजली उपभोक्ताओं के बिलों में .8 से 10 प्रतिशत तक कमीं आई थी। बिजली दरों में की गई कमीं से आरड्ब्ल्यूए के पदाधिकारी संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने दिल्ली सरकार से बिजली वितरण कंपनियों के खातों की जांच सीएजी से कराने की मांग की थी, लेकिन इस मांग को नहीं मानने पर आरड्ब्ल्यू ने ऑनलाइन याचिका दायर की थी। लगातार बिजली दरों में कमीं किए जाने की मांग के एक निजी न्यूज चैनल के संवाददाता के प्रश्न के जबाव में मुख्यमंत्री ने कहा कि जो लोग बिजली का बिल जमा नहीं कर सकते हैं वह अपने घर का बिजली कनेक्शन कटवा दें। 
प्रदेश भाजपा ने मुख्यमंत्री के बयान की निन्दा करते हुए कहा कि सरकार अपना दिमागी संतुलन खो चुकी है। प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता का कहना है कि दिल्ली सरकार पहले ही जनविरोधी बयान देकर तानाशाह होने का परिचय देती रही है, लेकिन इस बार के बयान से सारी सीमाएं टूट गयी हैं। ऐसा लगता है कि सरकार ने बिजली कंपनियों से हाथ मिला लिया है। इस बयान के लिए भाजपा ने मुख्यमंत्री से इस्तीफे की भी मांग की है। 
बयान पर आरड्ब्ल्यूए पूर्व दिल्ली ज्वाइंट फोरम के अध्यक्ष बीएस बोहरा ने कहा कि मुख्यमंत्री का बयान संवेदना शून्य वाला और घमंड से परिपूर्ण है। उन्हें जनता ने चुनकर भेजा है वह जनता के प्रति जबावदेय हैं। उन्होंने कहा कि जब 2002 में बिजली का निजीकरण किया गया था तब सरकार ने सपने दिखाए थे। वैसे ही सपने सरकार पानी के निजीकरण पर दिखा रही है। 
वहीं द. दिल्ली आरड्ब्ल्यूए की रंज्जू मिन्हास ने कहा कि सरकार बिजली वितरण कंपनियों के हितो की रक्षा करने के कारण जनता के हितों पर कुठाराघात कर रही है। 
वहीं आरड्ब्ल्यूए के अध्यक्ष अनिल वाजपेयी ने कहा कि सरकार आम आदमी के हितों की अनदेखी कर रही है। जनता इसका हिस्सा आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से चुकता करेगी, जबकि राजीव कांकरिया ने कहा कि बेलआउट पैकेज लेने के बाद भी दोनों बिजली वितरण कंपनियों ने एनटीपीसी व अन्य बिजली उत्पादन कंपनियों का 3500 करोड़ से अधिक का भुगतान नहीं किया है। जो बकाया राशि बीएसईएस यमुना के पास है उससे बिजली खरीदकर दिल्ली में बिजली आपूर्ति करती है। इस कारण दोनों कंपनियों को केवल लाभ ही हो रहा है। 
with thanks : Rashtriy Sahara

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